रविवार का अवकाश क्यों होता है
हेलो दोस्तो आज हम ऐसे टॉपिक के बारे में बात करने जा रहे हैं जो कि हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और इंजॉय पूर्ण दिन होता है देखिए दोस्तों क्या होता है कि आजकल की भागदौड़ भरी लाइफ में 1 दिन सप्ताह में ऐसा होता है जिसका सभी को इंतजार होता है जी हां दोस्तों मैं उसी दिन के बारे में बात करने जा रहा हूं जिसके बारे में सोचते ही बड़े बड़े बिजनेसमैन स्टूडेंट्स और सभी के मन में एक खुशी की लहर दौड़ जाती है जी दोस्तों मैं बात करने जा रहा हूं कि सप्ताह में 1 दिन ऐसा होता है जब सभी को आराम और एंजॉय करने के लिए वह दिन मिलता है जी दोस्तों संडे की मैं बात कर रहा हूं दोस्तों रविवार जो होता है वह हमारी जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन है दोस्तों जब हम कहीं घूमने का प्लान करते हैं तो सबसे पहले संडे का वेट करते हैं दोस्तों संडे एक अच्छा दिन होता है और इस दिन सभी छुट्टी पर होते हैं दोस्तों संडे के दिन छोटे बच्चे घर पर रुकते हैं या कहीं पिकनिक का प्लान करते हैं दोस्त लोग क्रिकेट खेलने का प्लान करते हैं और भी बहुत सारे ऐसे प्लान है जो कि संडे के बिना इंपॉसिबल है दोस्तों भागदौड़ भरी लाइफ में अपने शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए 1 दिन सप्ताह में शांत और सुखी जीवन बिताने के लिए दिया जाता है इस दिन सभी लोग अपने अपने तरह से इस दिन का प्लान बनाते हैं देखिए दोस्तों यह दिन बहुत इंपोर्टेंट है पर दोस्तों ज्यादातर देशों में परिवार का ही अवकाश होता है
दोस्तों कभी आपने यह सोचा है कि इस दिन को ही क्यों छुट्टी दी जाती है या अवकाश होता दोस्तों इसके पीछे बहुत कारण है 1980 में 10 जून को पहला संडे का या रविवार का अवकाश घोषित किया इसके पीछे बहुत संघर्ष छुपा है
इस दिन से पहले लोगों को जब अंग्रेजी हुकूमत आपने पर राज करती थी 7 दिन काम करना पड़ता था
दोस्तों इसमें कई बातें प्रचलन में है कि रविवार को ही अवकाश क्यों रखा जाता है
देखिए दोस्तों हिंदू कैलेंडर के अनुसार सबसे पहला दिन रविवार या संडे को ही माना है यह इसीलिए माना जाता है कि सर्व प्रथम दिन व्यक्ति अपने भगवान देवता या इष्ट की पूजा करें और शांति मानसिकता के साथ आगे के दिनों का सोच विचार करें हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह प्रथम दिन पूजा पाठ और सोच-विचार के लिए ही बनाया गया है इसीलिए इसका अवकाश रखा जाता है
दूसरा कारण रविवार के अवकाश का यह भी बताया जाता ह
ै कि जब अंग्रेजी सरकार यहां पर हुकूमत करती थी तो एक मजदूरों के नेता ने एक सप्ताहिक छुट्टी अवकाश की मांग रखी थी जो मजदूरों में नेता थे उन्होंने कम से कम 5 साल इस बात का विरोध किया कि हमें सप्ताहिक अवकाश मिलना चाहिए तब जाकर अंग्रेजों ने यह दिन डिसाइड किया क्योंकि अंग्रेज लोग इस दिन चर्च में जाकर पूजा अर्चना करते हैं तो अंग्रेजों ने सोचा कि अपन भी चर्च में जाया करते हैं और यह दिन अच्छा रहेगा विकास के लिए तो दोस्तों जो नेता इस बात पर आवाज उठाई थी उन्हें 2005 में उनके नाम से डाक टिकट जारी हुआ सम्मान के रूप में और उन नेता का नाम नारायण मेघाजी ला खड़ा था
Good
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