गिलोय (अंग्रेज़ी:टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया) की एक बहुवर्षिय लता होती है
गिलोय के फायदे,
नुकसान व
औषधीय गुण
(Benefits of Giloy &
its Medicinal
Properties in
Hindi)
गिलोय के फायदे /Giloy ke fayde
। इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह होते हैं। आयुर्वेद में इसको कई नामों से जाना जाता है यथा अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, आदि।[1] 'बहुवर्षायु तथा अमृत के समान गुणकारी होने से इसका नाम अमृता है।' आयुर्वेद साहित्य में इसे
की महान औषधि माना गया है एवं जीवन्तिका नाम दिया गया है। गिलोय की लता जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर सामान्यतः कुण्डलाकार चढ़ती पाई जाती है। नीम, आम्र के वृक्ष के आस-पास भी यह मिलती है। जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनाती है, उसके गुण भी इसमें समाहित रहते हैं। इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय श्रेष्ठ औषधि मानी जाती है। इसका काण्ड छोटी अंगुली से लेकर अंगूठे जितना मोटा होता है। बहुत पुरानी गिलोय में यह बाहु जैसा मोटा भी हो सकता है। इसमें से स्थान-स्थान पर जड़ें निकलकर नीचे की ओर झूलती रहती हैं। चट्टानों अथवा खेतों की मेड़ों पर जड़ें जमीन में घुसकर अन्य लताओं को जन्म देती हैं।
ताजे tane की छाल हरे रंग की तथा गूदेदार होती है। उसकी बाहरी त्वचा हल्के bhure रंग की होती है स्थान-स्थान पर गांठ के समान उभार पाए जाते हैं। सूखने पर यही tana पतला हो जाता है। सूखे काण्ड के छोटे-बड़े टुकड़े बाजार में पाए जाते हैं,
जो बेलनाकार लगभग 1 इंच व्यास के होते हैं। इन पर से छाल chilka भाग से आसानी से पृथक् की जा सकती है। स्वाद में यह तीखी होती है, पर गंध विशेष होती। पहचान के लिए एक साधारण-सा परीक्षण यह है कि इसके क्वाथ में जब ayodin का घोल डाला जाता है तो गहरा नीला रंग हो जाता है। यह इसमें स्टार्च की उपस्थिति का परिचायक है। सामान्यतः इसमें मिलावट कम ही होती है, पर सही पहचान अनिवार्य है। कन्द गुडूची व एक असामी प्रजाति इसकी अन्य जातियों की औषधियाँ हैं, जिनके गुण अलग-अलग होते हैं।
औषधीय गुणों के आधार पर नीम के वृक्ष पर चढ़ी हुई गिलोय को सर्वोत्तम माना जाता है क्योंकि गिलोय की बेल जिस वृक्ष पर भी चढ़ती है वह उस वृक्ष के सारे गुण अपने अंदर समाहित कर लेती है तो नीम के वृक्ष से उतारी गई गिलोय की बेल में नीम के गुण भी शामिल हो जाते हैं अतः नीमगिलोय सर्वोत्तम होती है
इलोय, या गुदुची, कुछ ऐसा है जो हम सभी ने किसी न किसी तरह से सुना है। यह हमारी माताओं और दादी द्वारा सिफारिश की जाती है कि हर बार हमें एक पुराना बुखार, या डेंगू जैसी गंभीर बीमारी हो। और यह निश्चित रूप से, बाबा रामदेव द्वारा अनुशंसित है, जो मानते हैं कि पौधे हमारे सभी रोगों का सबसे अच्छा इलाज है।
आपने गिलोय के बारे में कही गई सभी चीजों को खरीदा या नहीं खरीदा हो सकता है, लेकिन तथ्य यह है कि यह वहां की सबसे प्रभावी आयुर्वेदिक दवाओं में से एक है। प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में अमृतस (अमरत्व की जड़) में से एक के रूप में जाना जाता है, इस बारहमासी चढ़ाई जड़ी बूटी को विकसित करना बहुत आसान है। और इसका सेवन करना अब भी आसान है।
गिलोय की पत्तियाँ अपने पान जैसी आकृति के कारण आसानी से पहचानी जा सकती हैं। चित्र सौजन्य: Instagram / healthlogus
इस तथ्य को देखते हुए कि पूरी दुनिया अब सुपरफूड्स की तलाश कर रही है जो आपको फिट रखते हैं, और हम भारतीय कैसे आकार में रहने के लिए फ्लैक्ससीड्स जैसी सामग्री का उपयोग करने के लिए वापस जा रहे हैं, तो गिलोय को एक कोशिश क्यों न करें?
फोर्टिस हेल्थकेयर से जुड़े एक न्यूट्रिशनिस्ट लवनीत बत्रा के साथ हमने बातचीत की, यह जानने के लिए कि आपको गिलोय के बारे में जानना चाहिए।
गिलोय होने के पोषण संबंधी लाभ क्या हैं? 1। इसमें मजबूत एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो मुक्त कण क्षति से बचाता है और प्रतिरक्षा को बढ़ाता है
यह बुखार को कम करने में मदद करता है, डेंगू या चिकनगुनिया जैसे पुराने बुखार के लिए भी प्रभावी है
यह ब्लड प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में मदद करता है
यह पाचन में सहायता करता है, अत्यधिक क्षारीय होता है और इसमें विरोधी भड़काऊ प्रभाव होता है, जो गठिया और अस्थमा के उपचार में सहायता करता है
यह टाइप -2 मधुमेह रोगियों के लिए रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है।
इस पौधे के कई गुण आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को फिर से जीवंत करने में आपकी मदद कर सकते हैं। चित्र सौजन्य: Instagram / indusherbs
क्या गिलोय शिशुओं और बच्चों को दी जानी चाहिए? नहीं, यह शिशुओं के लिए उचित नहीं है। यह केवल 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित है। इन बच्चों की खुराक एक दिन में 250mg से अधिक नहीं होनी चाहिए।
गिलोय किस रूप में सबसे प्रभावी है - पाउडर, रस, या कैप्सूल? पाउडर, या पानी में उबला हुआ एक शंकु सबसे प्रभावी है
क्या गिलोय को स्वस्थ व्यंजनों में बदला जा सकता है, जैसे कि हम अलसी के साथ करते हैं? इसके अधिकतम लाभ के लिए, गिलोय को पानी के साथ अन्य खाद्य पदार्थों के साथ मिश्रित किए बिना करना सबसे अच्छा है।
गिलोय भारत के अधिकांश आयुर्वेदिक स्टोरों पर पाउडर, जूस और कैप्सूल के रूप में पाया जाता है। चित्र सौजन्य: इंस्टाग्राम / आयुर्वेदिक
अब अगर आप सोच रहे हैं कि गिलोय को कहां ढूंढना है, तो बस आसपास देखें। आप इसे किसी भी आयुर्वेदिक या जैविक स्टोर, विशेष रूप से पतंजलि, पाउडर, जूस या कैप्सूल के रूप में पाएंगे। आप इसे घर पर भी बहुत आसानी से उगा सकते हैं। बस अपने स्थानीय नर्सरी से एक गिलोय स्टेम प्राप्त करें, और इसे बर्तन में रखें जैसे कि आप मनी प्लांट के साथ करेंगे। यह बहुत तेजी से बढ़ता है, और आप घर पर रस बनाने के लिए पत्तियों को उबाल सकते हैं।
जबकि जड़ी बूटी के हर हिस्से का उपयोग पत्तियों, तने और फूलों सहित दवाओं को तैयार करने के लिए किया जाता है, पत्तियों से रस तैयार करना आसान है। यह वास्तव में मायने नहीं रखता है कि आप इसे कहाँ से प्राप्त करते हैं, घर पर फूलों का बर्तन या आयुर्वेदिक स्टोर, लेकिन नियमित रूप से सही खुराक में होने से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली पर बहुत अधिक फर्क पड़ सकता है।
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गिलोय का सेवन इन 2 स्थितियों में भूलकर भी न करें
गर्भवती महिलाएं न पीएं
गिलोय का सेवन गर्भवती महिलाओं के शरीर पर नकारात्मक असर डालता है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिए. जिन औरतों की डिलवरी सर्जरी से हुई हो तो ऐसे में उन्हें गिलोय का सेवन करने से बचने की आवश्यकता है. दरअसल इससे उनके ब्लड शुगर पर भी असर पड़ता है, जिसकी वजह से सर्जरी के घावों को भरने में बहुत वक्त लग सकता है और साथ ही उनमें दर्द का एहसास भी हो सकता है
लो ब्लड प्रेशर की समस्या में न पीएं
जिन लोगों को लो ब्लड प्रेशर की परेशानी रहती है उन्हें भी गिलोय के सेवन से बचने की आवश्यकता है क्योंकि इसके सेवन से आपका ब्लड प्रेशर कम हो सकता है. अगर ऐसा व्यक्ति जिसका ब्लड प्रेशर लो रहता है वह रोजाना नियमित रूप से गिलोय का सेवन करता है तो उसकी हालत और अधिक खराब हो सकती है. इसलिए ऐसे में आपको गिलोय का सेवन से बचना चाहिए.
इन स्थितियों में करें गिलोय का सेवन
बुखार में मददगार
अगर आप रोजाना नियमित रूप से गिलोय का सेवन करते हैं तो आपको बुखार होने की संभावना बहुत हद तक कम हो जाती है. अगर आप ज्यादातर बार-बार बुखार के शिकार हो जाते हैं तो ऐसे में गिलोय का सेवन आपको काढ़े के रूप में करना चाहिए. इससे आपका बुखार और बार-बार बीमार होने की संभावनाएं बहुत कम हो जाती हैं. इसके लिए आप गिलोय के एक इंच मोटे तने को पीसकर पानी में उबालें और जब पानी आधा रह जाए तो उसे छान कर पीएं. इसके सेवन से आप सभी प्रकार के बुखार से खुद को बचा सकते हैं.
एंटी एजिंग गुणों से भरपूर
गिलोय में एंटी एजिंग गुण मौजूद होते हैं जो आपकी बढ़ती उम्र के प्रभावों को कम करने में मददगार होता है. गिलोय में भरपूर मात्रा में एंटी एजिंग गुण पाए जाते हैं. अगर आप इसका रोजाना नियमित सेवन करते हैं तो आपके शरीर में बढ़ते उम्र के लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है.
हड्डियों के दर्द को कम करे
अगर आपकी बोन फ्रेक्चर हो गई है और उसमें दर्द की शिकायत हो रही है तो गिलोय का सेवन करने से आपको इस दर्द से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है. ऐसे में आप रोजाना नियमित रूप से गिलोय के रस का सेवन करें और इसकी पत्तियों को हल्का सा गरम करके चोट पर लगाने से दर्द में राहत मिलती है.
इन स्थितियों में फायदेमंद है गिलोय
गिलोय के सेवन से आपको त्वचा रोग, खांसी, दुर्बलता, डायबिटीज और कई प्रकार के बुखार को कम करने में सहायता मिलती है.
आँखों के रोग में फायदेमंद गिलोय
गिलोय के औषधीय गुण आँखों के रोगों से RAHAT दिलाने में बहुत मदद करते हैं। इसके लिए 10 मिली गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद व सेंधा नमक मिलाकर खूब अच्छी प्रकार से खरल में पीस लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे अँधेरा छाना, चुभन, और काला तथा SFED मोतियाबिंद रोग ठीक होते हैं।
गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़ा में एक ग्राम पिप्पली चूर्ण व शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से आँखों की रौशनी बढ़ जाती है। गिलोय का सेवन करते समय एक बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि इसका सही मात्रा और सही तरह से सेवन करने पर ही गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) का सही तरह से उपकार आँखों को मिल सकता है।
ऐसे करें गिलोय का सेवन
गिलोय को चूर्ण, काढ़े, जूस या फिर इसकी गोलियों के रूप में सेवन कर सकते हैं
टीबी रोग में फायदेमंद गिलोय का सेवन
गिलोय का औषधीय गुण टीबी रोग के समस्याओं से निजात दिलाने में मदद करते हैं लेकिन इनको औषधि के रुप में बनाने के लिए इन सब चीजों के साथ मिलाकर काढ़ा बनाने की ज़रूरत होती है। अश्वगंधा, गिलोय, शतावर, दशमूल, बलामूल, अडूसा, पोहकरमूल तथा अतीस को बराबर भाग में लेकर इसका काढ़ा बनाएं। 20-30 मिली काढ़ा को सुबह और शाम सेवन करने से राजयक्ष्मा मतलब टीबी की बीमारी ठीक होती है। इस दौरान दूध का सेवन करना चाहिए। इसका सही तरह से SEVAN ही यक्ष्मा (TB ROG) में गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) से पूरी तरह से लाभ उठा सकते हैं।
गिलोय के सेवन से ULTI रुकती है
एसिडिटी के कारण उल्टी हो तो 10 मिली गिलोय रस में 4-6 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे सुबह और शाम पीने से उल्टी बंद हो जाती है। गिलोय के 125-250 मिली चटनी में 15 से 30 ग्राम SAHAD मिला लें।
इसे दिन में तीन बार सेवन करने से उल्टी की परेशानी ठीक हो जाती है। 20-30 मिली गुडूची के KADA में SAHADमिलाकर पीने से बुखार के कारण होने वाली उलटी बंद होती है। अगर उल्टी से परेशान है और गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) का पूरा LABH उठाने के लिए उसका सही तरह से सेवन करना
गिलोय के सेवन से कब्ज का इलाज
गिलोय के औषधीय गुणों के कारण उसको 10-20 मिली रस के साथ गुड़ का सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है। सोंठ, मोथा, अतीस तथा गिलोय को BRABAR भाग में कर PANI में खौला कर काढ़ा बनाएं। इस काढ़ा को 20-30 मिली की मात्रा में MORNING और EVENING पीने से अपच एवं कब्ज की समस्या से RAHAT मिलती है। गिलोय के फायदे का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए गिलोय का सही तरह से इस्तेमाल करना भी ज़रूरी होता है।
गिलोय के इस्तेमाल से बवासीर का उपचार
हरड़, गिलोय तथा धनिया को बराबर भाग (20 ग्राम) लेकर आधा लीटर पानी में पका लें। जब एक CHOTHAI रह जाय तो खौलाकर काढ़ा BNA लें। इस काढ़ा में गुड़ डालकर सुबह और शाम पीने से बवासीर की बीमारी THIK होती है। काढ़ा बनाकर PINE पर ही गिलोय के फायदे पूरी तरह से मिल सकते हैं।
पीलिया रोग में गिलोय से फायदा
गिलोय के औषधीय GUN पीलिया से राहत दिलाने में BAHUT मदद करते हैं। गिलोय के फायदे का LABH उठाने के लिए सही तरह से प्रयोग करना भी JARURI होता है।
गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर DIN में तीन-चार बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में MILAKAR तथा CHHANKAR सुबह के समय पीने से पीलिया THIK होता है।
गिलोय के तने के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर पहनने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
पुनर्नवा, नीम की छाल, पटोल के PATTE, सोंठ, कटुकी, गिलोय, दारुहल्दी, हरड़ को 20 ग्राम लेकर 320 मिली पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा को 20 मिली सुबह और शाम पीने से पीलिया, हर प्रकार की सूजन, पेट के रोग, बगल में दर्द, सांस उखड़ना तथा खून की कमी में लाभ होता है।
गिलोय रस एक लीटर, गिलोय का पेस्ट 250 ग्राम, दूध चार लीटर और घी एक किलो लेकर धीमी आँच पर पका लें। जब घी केवल रह जाए तो इसे छानकर रख लें। इस घी की 10 ग्राम मात्रा को चौगुने गाय के दूध में मिलाकर सुबह और शाम पीने से खून की कमी, पीलिया एवं हाथीपाँव रोग में लाभ होता है।
लीवर विकार को ठीक करता है गिलोय
18 ग्राम ताजी गिलोय, 2 ग्राम अजमोद, 2 नग छोटी पीपल एवं 2 नग नीम को लेकर सेक लें। इन सबको मसलकर रात को 250 मिली जल के साथ मिट्टी के बरतन में रख दें। सुबह पीस, छानकर पिला दें। 15 से 30 दिन तक सेवन करने से लीवन व पेट की समस्याएं तथा अपच की परेशानी ठीक होती है।
डायबिटीज की बीमारी में करें गिलोय का उपयोग
गिलोय जिस तरह डायबिटीज कंट्रोल करने में फायदेमंद होता है लेकिन जिन्हें कम डायबिटीज की शिकायत हो, उन्हें गिलोय के नुकसान से सेहत पर असर भी पड़ सकता है।
गिलोय, खस, पठानी लोध्र, अंजन, लाल चन्दन, नागरमोथा, आवँला, हरड़ लें। इसके साथ ही परवल की पत्ती, नीम की छाल तथा पद्मकाष्ठ लें। इन सभी द्रव्यों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर, छानकर रख लें। इस चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे डायबिटीज में लाभ होता है।
गिलोय के 10-20 मिली रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से भी डायबिटीज में फायदा होता है।
एक ग्राम गिलोय सत् में 3 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से डायबिटीज में लाभ मिलता है।
10 मिली गिलोय के रस को पीने से डायबिटीज, वात विकार के कारण होने वाली बुखार तथा टायफायड में लाभ होता है।
मूत्र रोग (रुक-रुक कर पेशाब होना) में गिलोय से लाभ
गुडूची के 10-20 मिली रस में 2 ग्राम पाषाण भेद चूर्ण और 1 चम्मच शहद मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार सेवन करने से रुक-रुक कर पेशाब होने की बीमारी में लाभ होता है।
गठिया में फायदेमंद गिलोय
गिलोय के 5-10 मिली रस अथवा 3-6 ग्राम चूर्ण या 10-20 ग्राम पेस्ट या फिर 20-30 मिली काढ़ा को रोज कुछ समय तक सेवन करने से गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) पूरी से मिलते हैं और गठिया में अत्यन्त लाभ होता है। सोंठ के साथ सेवन करने से भी जोड़ों का दर्द मिटता है।
फाइलेरिया (हाथीपाँव) में फायदा लेने के लिए करें गिलोय का
10-20 मिली गिलोय के रस में 30 मिली सरसों का तेल मिला लें। इसे रोज सुबह और शाम खाली पेट पीने से हाथीपाँव या फाइलेरिया रोग में लाभ होता है।
गिलोय से कुष्ठ (कोढ़ की बीमारी) रोग का इलाज 10-20 मिली गिलोय के रस को दिन में दो-तीन बार कुछ महीनों तक नियमित पिलाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
बुखार उतारने के लिए गिलोय से लाभ
40 ग्राम गिलोय को अच्छी तरह मसलकर, मिट्टी के बरतन में रख लें। इसे 250 मिली पानी मिलाकर रात भर ढककर रख लें। इसे सुबह मसल-छानकर प्रयोग करें। इसे 20 मिली की मात्रा दिन में तीन बार पीने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है।
20 मिली गिलोय के रस में एक ग्राम पिप्पली तथा एक चम्मच मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से पुराना बुखार, कफ, तिल्ली बढ़ना, खांसी, अरुचि आदि रोग ठीक होते हैं।
बेल, अरणी, गम्भारी, श्योनाक (सोनापाठा) तथा पाढ़ल की जड़ की छाल लें। इसके साथ ही गिलोय, आँवला, धनिया लें। इन सभी की बराबर-बराबर लेकर इनका काढ़ा बना लें। 20-30 मिली काढ़ा को दिन में दो बार सेवन करने से वातज विकार के कारण होने वाला बुखार ठीक होता है।
मुनक्का, गिलोय, गम्भारी, त्रायमाण तथा सारिवा से बने काढ़ा (20-30 मिली) में गुड़ मिला ले। इसे पीने अथवा बराबर-बराबर भाग में गुडूची तथा शतावरी के रस (10-20 मिली) में गुड़ मिलाकर पीने से वात विकार के कारण होने वाला बुखार उतर जाता है।
20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिला ले। इसके अलावा छोटी कटेरी, सोंठ तथा गुडूची के काढ़ा (20-30 मिली) में पिप्पली चूर्ण मिलाकर पीने से वात और कफज विकार के कारण होने वाला बुखार, सांस के उखड़ने की परेशानी, सूखी खांसी तथा दर्द की परेशानी ठीक होती है।
सुबह के समय 20-40 मिली गुडूची के चटनी में मिश्री मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।
गुडूची, सारिवा, लोध्र, कमल तथा नीलकमल अथवा गुडूची, आँवला तथा पर्पट को समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा में चीनी मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।
बराबर मात्रा में गुडूची, नीम तथा आँवला से बने 25-50 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार की गभीर स्थिति में लाभ होता है।
100 ग्राम गुडूची के चूर्ण को कपड़े से छान लें। इसमें 16-16 ग्राम गुड़, मधु तथा गाय का घी मिला लें। इसका लड्डू बनाकर पाचन क्षमता के अनुसार रोज खाएं। इससे पुराना बुखार, गठिया, आंखों की बीमारी आदि रोगों में फायदा होता है। इससे यादाश्त भी बढ़ती है।
गिलोय के रस तथा पेस्ट से घी को पकाएं। इसका सेवन करने से पुराना बुखार ठीक होता है।
बराबर मात्रा में गिलोय तथा बृहत् पञ्चमूल के 50 मिली काढ़ा में 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण तथा 5-10 ग्राम मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा गुडूची काढ़ा को ठंडा करके इसमें एक चौथाई मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा आप 25 मिली गुडूची रस में 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण तथा 5-6 ग्राम मधु मिला भी पी सकते हैं। इससे पुराना बुखार, सूखी खाँसी की परेशानी ठीक होती है और भूख बढ़ती है।
गुडूची काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बुखार की गंभीर स्थिति में लाभ होता है। बुखार के रोगी को आहार के रूप में गुडूची के पत्तों की सब्जी शाक बनाकर खानी चाहिए।
पतंजलि की गिलोय घनवटी का सेवन करने से भी लाभ होता है।
एसिडिटी की परेशानी ठीक करता है गिलोय (Giloy Cure Acidity in Hindi)
गिलोय के 10-20 मिली रस के साथ गुड़ और मिश्री के साथ सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होता है।
गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा अथवा चटनी में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से एसिडिटी की समस्या ठीक होती है
इसके अलावा 10-30 मिली काढ़ा में अडूसा छाल, गिलोय तथा छोटी कटोरी को बराबर भाग में लेकर आधा लीटर पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। ठंडा होने पर 10-30 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से सूजन, सूखी खांसी, श्वास तेज चलना, बुखार तथा एसीडिटी की समस्या ठीक होती है।
कफ की बीमारी में करें गिलोय का इस्तेमाल(Giloy is Beneficial in Cure Cough in Hindi)
गिलोय को मधु के साथ सेवन करने से कफ की परेशानी से आराम मिलता है।
स्वस्थ ह्रदय के लिए गिलोय का सेवन फायदेमंद (Giloy is Beneficial for Healthy Heart)
काली मिर्च को गुनगुने जल के साथ सेवन करने से सीने का दर्द ठीक होता है। ये प्रयोग कम से कम सात दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।
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कैंसर में फायदेमंद गिलोय का उपयोग (Giloy is Beneficial in Cancer in Hindi)
स्वामी रामदेव के पतंजलि आश्रम में अनेक ब्लड कैंसर के रोगियों पर गेहूँ के ज्वारे के साथ गिलोय का रस मिलाकर सेवन कराया गया। इससे बहुत लाभ हुआ। आज भी इसका प्रयोग किया जा रहा है और इससे रोगियों को अत्यन्त लाभ होता है।
लगभग 2 फुट लम्बी तथा एक अगुंली जितनी मोटी गिलोय, 10 ग्राम गेहूँ की हरी पत्तियां लें। इसमें थोड़ा-सा पानी मिलाकर पीस लें। इसे कपड़े से निचोड़ कर 1 कप की मात्रा में खाली पेट प्रयोग करें। पतंजलि आश्रम के औषधि के साथ इस रस का सेवन करने से कैंसर जैसे भयानक रोगों को ठीक करने में मदद मिलती है।
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ReplyDeleteVery Nice , Please Make More Infromative article Like this Giloy Juice
ReplyDeletesir aap ne Giloy ki jankari bahut hi achi di hai aur sir aap ka blog site par post bahut hi ache hai. es liye mai aap ke sabhi post ko ache se padhta hu aur kuch post ko social media accounts se share krta hu aap se parerit ho kar mai bhi yek post Giloy ke fayde, giloy ka use kaise kare hindi me https://goodglo.com/giloy-ke-fayde-giloy-ka-use-kaise-kare-puri-jankari-hindi-mein
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